उन्नीसवी शताब्दी में बहाई धर्म की शुरूआत से लेकर निरन्तर बढ़ती हुई संख्या में लोगों ने बहाउल्लाह की शिक्षाओं में एक बेहतर विश्व की एक अकाट्य दृष्टि पाई है। इन शिक्षाओं से अनेक लोगों ने अंतर्दृष्टि प्राप्त की है - उदाहरण के लिये, मानवजाति की एकता पर, स्त्री-पुरूष की समानता पर, पूर्वाग्रह की समाप्ति पर, विज्ञान और धर्म के ताल-मेल पर - और उन्होंने बहाई सिद्धांतों को अपने जीवन तथा कार्यों में ढालने की कोशिश की है। कुछ लोग और आगे बढ़े हैं और बहाई समुदाय का हिस्सा बन उसके प्रयासों में प्रतिभागिता निभाते हुए, मानवजाति द्वारा वयस्कता प्राप्त करने की बहाउल्लाह की विलक्षण दृष्टि को स्वीकार करते हुये, प्रत्यक्ष रूप से अपना योगदान दिया है।
बहाई जीवन के हर क्षेत्र से आते हैं। युवा और वृद्ध, पुरूष और स्त्री समान रूप से सभी भू-भागों में अन्य के साथ-साथ जीवन यापन करते हैं और सभी देशों के निवासी हैं। बहाउल्लाह की शिक्षाओं के अनुरूप वे मानवजाति की सेवा करने और अपने आन्तरिक जीवन को उन्नत बनाने के समान लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध हैं। जिस समुदाय में वे रहते हैं वह सीखने और कार्य को आगे बढ़ाने की प्रक्रिया में हैं; जिसमें सत्य को केवल वे ही समझ पाये हैं, इस प्रकार की श्रेष्ठता का कोई भाव नहीं है। यह एक समुदाय है जो मानवजाति के भविष्य के लिए आशा उपजाता है, जो उद्देश्यपूर्ण प्रयास को बढ़ावा देता है और दुनिया के उन सब लोगों के प्रयासों का जश्न मनाता है जो एकता को बढ़ावा देना और मानव-उत्पीड़न को कम करना चाहते हैं।
बहाउल्लाह ने एकता का एक वृत्त खींचा है, ‘उन्होंने’ सभी लोगों को एक करने और विश्वव्यापी एकता के मंडप-वितान के नीचे शरण पाने की एक रूपरेखा दी है। यह ‘दिव्य उदारता’ का वरदान है, और हमें अवश्य ही पूरे ह्रदय व आत्मा से प्रयत्न करते रहना चाहिये जब तक हम अपने बीच एकता को वास्तविक रूप में न प्राप्त कर लें, और जब हम काम करेंगे, तो हमे शक्ति भी प्रदान की जाएगी।
— अब्दुल‑बहा