“अगर एक परिवार में प्रेम और सहमति है तो वह परिवार प्रगति करेगा, प्रकाशित और आध्यात्मिक बनेगा...।”
— अब्दुल‑बहा
परिवार की इकाई मानव समाज का नाभिक है । प्रशंसनीय गुणों और क्षमताओं के विकास के लिये यह एक आवश्यक वातावरण प्रदान करता है। इसके सद्भावपूर्ण वातावरण में काम करने और परस्पर प्रेम के बंधन को बनाये रखने तथा विकसित होते रखने से इसके सदस्य एक-दूसरे के करीब आते हैं। यह लगातार इस सत्य को मुखर करता है कि व्यक्ति के कल्याण के तार दूसरों के कल्याण और प्रगति से अलंघनीय जुड़े हैं।
एक परिवार की मूलभूत भूमिका बच्चों का लालन-पालन है जो अपने आध्यात्मिक विकास और सभ्यता के विकास में अपनी प्रतिभागिता - दोनों की जिम्मेदारी ले सकते हैं। अब्दुल-बहा कहते हैं कि बच्चे के माता-पिता “एक कर्तव्य की भाँति अपनी लड़की और लड़के को भरसक प्रयास से प्रशिक्षित करें” और बहाई माता-पिता, जिनकी पहली जिम्मेदारी अपने बच्चों का पालन-पोषण है, इस सम्बन्ध में अपने कर्तव्य के प्रति बराबर सजग रहें। लेकिन बच्चों की शिक्षा केवल माता-पिता की ज़िम्मेदारी नहीं है। समुदाय को भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है, और बहाई समुदाय इस विषय पर समुचित रूप से ध्यान देता है। सत्यतः, सबके लिये सुलभ कक्षायें, जो बच्चों को आध्यात्मिक और नैतिक शिक्षा देती है, विशेष रूप से किसी स्थान में बहाईयों द्वारा चलाई जाने वाली प्रथम गतिविधियों में से एक है।