“हालाँकि आपकी वास्तविकतायें परिस्थितियों की एक विस्तृत विविधता से आकार ग्रहण करती हैं, फिर भी रचनात्मक परिवर्तन लाने की इच्छा और अर्थपूर्ण सेवा की क्षमता, दोनों आपकी उम्र के लोगों की विशेषता है और यह न तो किसी जाति अथवा राष्ट्रीयता तक सीमित है और न ही भौतिक संसाधनों पर निर्भर करती है। युवा काल का यह सुनहरा समय सभी अनुभव करते हैं, किन्तु यह अत्यन्त अल्प है और अनगिनत सामाजिक ताकतों द्वारा बाधित है। तब यह कितना महत्वपूर्ण है कि आप उन लोगों में से बनने की कोशिश करें जो अब्दुल-बहा के शब्दों में “जीवन का फल प्राप्त कर चुके हैं।”
— विश्व न्याय मंदिर
बहाई इतिहास में युवाओं ने एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। बाब ने अपने मिशन की घोषणा पच्चीस वर्ष की आयु में की थी और उनके अनेक अनुयायी अपनी युवावस्था के सुन्दरतम् समय में थे जब उन्होंने ‘उनके प्रकटीकरण’ को अंगीकार किया था। बहाउल्लाह और अब्दुल-बहा के काल में, इस नए धर्म के सन्देश की घोषणा और लोगों के साथ शिक्षाओं को साझा करने के प्रयास में युवाजन अग्रणी थे।
इन और अन्य असाधारण लोगों ने जो राह दिखलाई थी उस पर चलते हुये, हर पीढ़ी में हज़ार-ओ-हज़ार युवा बहाई बहाउल्लाह के आह्वान के उत्तर में उठ खड़े हुये हैं। उनके प्रयासों को मार्गदर्शन आज बहाई धर्म की सर्वोच्च संस्था - विश्व न्याय मंदिर — से प्राप्त होता है, जो युवा बहाईयों को उनकी इस उम्र के उत्साह और उमंग का इस्तेमाल करते हुये आध्यात्मिक और भौतिक सभ्यता के विकास में उन्हें निश्चयकारी योगदान देने के लिये प्रेरित करता है।
विश्व न्याय मंदिर द्वारा दिये गये मार्गदर्शन और प्रोत्साहन के अवसर और आज के युवा बहाईयों का प्रत्युत्तर अत्यन्त विशाल है और इनके द्वारा प्रोत्साहित गतिविधियाँ इतनी विविध हैं कि उन सब का पूरा विवरण यहाँ देना सम्भव नहीं। इसलिये, इस संग्रह के पृष्ठों पर केवल एक उदाहरण दिया जा रहा है: दुनिया भर में 114 स्थानों पर सन् 2013 में आयोजित युवा सम्मेलन और उसके बाद से हो रही छोटी-छोटी युवा सम्मिलनों की एक लहर।
हज़ारों की संख्या में युवा प्रतिभागियों को सम्बोधित विश्व न्याय मंदिर के एक संदेश को आप पढ़ सकते हैं, एक लघु वृत्त चित्र “मानवजाति की सेवा” देख सकते हैं; और बहाई विश्व समाचार सेवा के वेबसाइट के खास भाग में सन् 2013 में हुई इन सम्मिलनों की रिपोर्ट देख सकते हैं।